पूरब में भारत का एक छोर हूं। नेपाल मेरा पड़ोसी है। भगवान ब्रह्मा की धरती हूं। भर या राजभर राजाओं की कर्मभूमि हूं। महाराज सुहेलदेव राजभर का किला। 9वीं सदी में बहराइच पर शासन करने वाले महाराजा त्रिलोकचंद्र अर्कवंशी ने बहराइच में एक विशाल सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था।
उनके द्वारा बनवाए गए इस मंदिर को बालार्क मंदिर का नाम दिया गया था। महाराजा त्रिलोकचंद्र अर्कवंशी ने ही बहराइच से अपनी सेना लेकर दिल्ली के शासक को युद्ध में हराया था जिसके बाद महाराजा त्रिलोकचंद्र अर्कवंशी ने दिल्ली पर अपना शासन स्थापित किया और इनकी 9 पीढ़ियों ने दिल्ली पर शासन किया।
14वीं सदी में इस्लामिक आक्रमणकारी तुगलक ने इस भव्य और हिंदूओं के मंदिर को तुड़वा डाला और इस हिंदू मंदिर की जगह सैय्यद सलार मसूद गाजी की दरगाह बनवा दी। इस हमलावर सैय्यद सलार मसूद गाजी को बहराइच में राज कर रहे महाराजा सुहेलदेव भारशिव ने मौत के घाट उतार दिया था।
इसका वर्णन मिरात ए मसूदी में भी किया गया है। यह युद्ध सन् 1034 ई0 के आस पास लड़ा गया था जिसमें 17 हिंदू राजाओं ने संगठित होकर महाराजा सुहेलदेव भारशिव के नेतृत्व में सैय्यद सलार मसूद गाजी की इस्लामी जिहाद की 1,50,000 (डेढ़ लाख) सेना को गाजर मूली की तरह काट डाला था।
आज उसी बालार्क मंदिर जिसे महाराजा त्रिलोकचंद्र अर्कवंशी ने बनवाया था उसे तोड़कर उसकी जगह इस सैय्यद सलार मसूद गाजी की दरगाह बना दी गई है।